विराम चिन्ह किसे कहते हैं। विराम चिन्ह के प्रकारों की जानकारी

आज के इस आर्टिकल में हिंदी व्याकरण का अंतिम भाग विराम-चिन्ह के बारे में बताया गया हैं। हमने अपने पिछले आर्टिकल में उपसर्ग और प्रत्यय के बारे में पढ़ा था।

आज के इस आर्टिकल में आप विराम चिन्ह क्या होता हैं।, विराम चिन्ह की परिभाषा और इसके कितने प्रकार होते हैं आदि इन सभी चीजों के बारे में पढ़ सकते हैं।

Viram Chinh Kise Kahate Hain – विराम-चिन्ह की परिभाषा क्या होती हैं हिंदी में 

viram chinh kya hai

विराम-चिन्ह (Viram-Chinh) – विरामों को प्रकट करने के लिए जिन चिन्हों को लिखते है, उन्हें विराम-चिन्ह कहा जाता है।

वाक्य को लिखते तथा बोलते समय एक ही गति से न लिख सकते हैं और न ही बोल सकते हैं। ‘वाक्य’ के बीच में कहीं-कहीं कुछ क्षणों के लिए रुकते हैं और वाक्य की समाप्ति पर भी रुकना पड़ता है। ऐसी रुकने को ‘विराम’ कहा जाता हैं।

विराम-चिन्हों के प्रकार – प्रमुख्य विराम चिन्ह और उनके प्रयोग :-

1 . अल्प विराम (Comma) (,) –

समान महत्व वाले कई शब्दों के एक साथ आने पर, उन्हें अलग करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता हैं। जैसे – राम, श्याम और मोहन स्कूल नहीं जाते हैं।

2 . अर्थ विराम (Semi colon) (;) –

जहाँ अल्प विराम से कुछ अधिक रुकना पड़ता है, वहाँ अर्थ विराम का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे – सूर्य निकला; पक्षी चहकने लगे, किसान भी खेतों की और चल पड़े।

3 . अपूर्ण विराम (Colon) (:) –

जहाँ किसी बात का उत्तर या उदाहरण अगली पंक्ति में देना हो, वहाँ अपूर्ण विराम का प्रयोग होता हैं। जैसे – संज्ञा के निम्नांकित भेद हैं : आदि।

4 . पूर्ण विराम (Fullstop) (।) –

वाक्य के पूरा होने पर पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे – राम किताब पढता है। वह आम खाता है। मैं स्कूल जाता हूँ।

5 . प्रश्नवाचक चिन्ह (?) –

प्रश्नसूचक वाक्य के अंत में इस चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे – क्या तुम पढ़ते हो? तुम क्यों आये हो? क्या रोशन नहीं पढता हैं?

6 . निर्देशक (–) –

किसी बात का उत्तर या उदाहरण आगे दिया जाना हो, तो इसका प्रयोग होता हैं। जैसे – रमन ने कहा –, उसने बोला –, रमेश ने सुना – आदि।

7 . योजक (Hyphen) (-) –

दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक का प्रयोग किया जाता है। जैसे – धीरे-धीरे, रात-दिन, सुबह-शाम आदि।

8 . कोष्ठक ( ) –

प्रयोग किये शब्दों का अर्थ लिखने के लिए कोष्ठक का प्रयोग होता हैं। जैसे – शीत (ठंड) लगने से लोगों की जान चली गई।

9 . उद्धरण (” “) –

उद्धत या कथन को इस चिन्ह के बीच में रखा जाता है। जैसे – तुम्हारी बातों को सुनकर वह बोली – “मैं सुकुमारी नाथ बनजोगु”।

10 . विस्मयादिबोधक (!) –

हर्ष, विषाद, शोक, दुःख तथा सम्बोधन आदि प्रकट करने वाले शब्दों के बाद इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं। जैसे – अरे, बच्चों! शोर मत करो। आदि

11 . लाघव चिन्ह (.) –

किसी शब्द को छोटा करके लिखने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे – डॉक्टर के लिए – डॉ. | घंटा के लिए – घं. | मिनट के लिए – मि. आदि।


उपयुक्त ‘विराम चिन्हों’ का खूब सोच समझकर प्रयोग करना चाहिए। वाक्यों के अर्थ बहुत-कुछ इन चिन्हों पर निर्भर करते हैं।

इन चिन्हों के गलत प्रयोग से वाक्य का अर्थ गलत हो जाने का भय रहता है या अर्थ बदल जाता है। एक उदाहरण से इस बात को स्पष्ट किया जा सकता है –

रोको, मत जाने दो।

रोको मत, जाने दो।

ऊपर के दोनों वाक्यों में एक समान पदों का व्यवहार हुआ है। अल्प विराम के प्रयोग में स्थान भेद के कारण दोनों वाक्यों के अर्थ एक-दूसरे के विपरीत हो जाते हैं।

पहले वाक्य में ‘रोकने’ का निर्देश है और दूसरे वाक्य में ‘नहीं रोकने’ का निर्देश है, अतः विराम-चिन्ह का प्रयोग करते समय काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है।

Final Thoughts –

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