प्रत्यय किसे कहते हैं भेद, परिभाषा, उदाहरण आदि की पूरी जानकारी

आज के इस आर्टिकल में हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण भाग प्रत्यय (Pratyay) के बारे में बताया गया हैं। हमने अपने पिछले आर्टिकल में उपसर्ग के बारे में पढ़ा था।

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों का हिंदी वाक्यों में बहुत जगह प्रयोग होता हैं अतः हमें इसके बारे में जरूर पढ़ना चाहिए। 

इस आर्टिकल में आप प्रत्यय क्या हैं। प्रत्यय के प्रकार कितने होते हैं और सभी प्रकार प्रत्यय के उदाहरण आदि के बारे में पढ़ सकते हैं।

Pratyay Kise Kahate Hain | Pratyay in Hindi Grammar

pratyay kya hai

प्रत्यय (Pratyay) – ऐसे शब्दांश जो की किसी शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देता हैं, उन्हें प्रत्यय कहा जाता हैं।

जैसे – त्व, आ, इया, वाला, ना, नी, ता आदि।

पहली बात ‘प्रत्यय’ शब्दांश है और दूसरी बात, ये ‘शब्दों’ के अंत में लगते हैं। जैसे – ‘मनुष्य’ शब्द में ‘त्व’ प्रत्यय लगाने पर ‘मनुष्यत्व’ शब्द बनता है। ‘सुत’ शब्द में ‘आ’ प्रत्यय लगाने में ‘सुता’ शब्द बन जाता है।

प्रत्यय के भेद या प्रकार – Pratyay Ke Bhed in Hindi 

हिंदी व्याकरण में प्रत्यय के दो भेद होते हैं जो की नीचे लिखे गए हैं –

(क.) कृत् प्रत्यय

(ख.) तद्धित प्रत्यय


कृत् प्रत्यय किसे कहते हैं और कृत् प्रत्यय के भेद और परिभाषा क्या होती हैं। 

(क.) कृत् प्रत्यय –

जो ‘प्रत्यय’ क्रिया के मूल ‘धातु’ में लगते हैं, उन्हें ‘कृत् प्रत्यय’ कहा जाता हैं। ‘कृत् प्रत्यय’ से बने शब्द को ‘कृदंत’ कहा जाता है।

मूलरूप से हम कह सकते हैं की कृत प्रत्यय क्रिया में लगता है। जैसे – गानेवाला, खानेवाला आदि।

Krit Pratyay Ke Bhed in Hindi – 

कृदंत के पांच भेद होते हैं –

1 . कृतवाचक, 2 . कर्मवाचक, 3 . करणवाचक, 4 . भाववाचक, 5 . क्रियधोतक।

1 . कृतवाचक – ‘कृतवाचक कृदंत’ वह है जो ‘क्रिया’ के करने वाले का धोतक होता है। इनके मुख्य प्रत्यय निम्नांकित हैं –

वाला – पढ़नेवाला, गानेवाला

इया – बढ़िया, घटिया

हारा – रोकनहारा, मारनहार

हुआ – पका हुआ, सोया हुआ

क – गायक, पूजक।

2 . कर्मवाचक – जो ‘सकर्मक क्रिया’ के सामान्य भूत में ‘हुआ’ या ‘हुई’ प्रत्यय लगने से बनते हैं तथा विशेषण का काम करते हैं। जैसे –

हुआ – पढ़ा हुआ, लिखा हुआ, सुना हुआ।

हुई – पढ़ी हुई, लिखी हुई।

3 . करणवाचक – क्रिया के पीछे ‘ना’ या ‘नी’ लगाने से ये बने हैं। इन्हें निम्न प्रकार से समझें। जैसे –

नी – चलनी, करनी, धौंकनी।

ना – ढकना, ओढ़ना, चलना।

4 . भाववाचक – क्रिया में प्रत्यय के योग से बने शब्द हैं जो ‘भाववाचक संज्ञा’ का काम करते हैं। क्रिया के अंत में ‘आप, अन्त, वट, हट, ई, आई, आव, आन आदि के लगाने से बनते हैं।

जैसे – मिलाप, चलन्त, मिलावट, चिल्लाहट, लिखाई, पढाई, चढ़ाई, हँसी, बचाव, उड़ान आदि।

5 . क्रियधोतक – वर्तमानकालिक क्रियावाचक शब्दों में प्रत्यय जोड़कर बने हुए शब्द जो विशेषण के रूप में व्यवहृत होते हैं।

जैसे – आता हुआ आदमी, दौड़ता हुआ कुत्ता आदि।


तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं और तद्धित प्रत्यय के भेद और परिभाषा क्या होती हैं।

(ख.) तद्धित प्रत्यय –

जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और अव्यय के अंत में लगकर उनके अर्थ में ‘परिवर्तन’ ला देते हैं, उन्हें ‘तद्धित प्रत्यय’ कहा जाता हैं।

तद्धित प्रत्यय से बने शब्द को ‘तद्धितांत’ कहा जाता हैं। जैसे – पुरुषत्व, अपनापन, लालिमा, दुरी आदि।

Tadhit Pratyay Ke Bhed in Hindi – 

तद्धित प्रत्यय के पांच भेद होते हैं –

1 . कर्तृवाचक, 2 . गुणवाचक, 3 . भाववाचक, 4 . ऊनवाचक, 5 . अपत्यवाचक।

1 . कर्तृवाचक – जिस ‘तद्धित प्रत्यय‘ से कर्ता का बोध हो, उसे ‘कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय’ कहते हैं। इसके मुख्य प्रत्यय हैं –

हारा – लकड़हारा, पनिहारा, मनिहारा

वाला – गाड़ीवाला, दूधवाला, इक्केवाला।

2 . गुणवाचक – जिससे गुण या भाव का ‘प्रदर्शन’ होता है, उसे ‘गुणवाचक तद्धित प्रत्यय’ कहते हैं। ये इस प्रकार हैं –

भूख भूखा सूख सूखा
इक नगर नागरिक शरीर शारीरिक
मानस मानसिक समाज सामाजिक
प्राण प्राणी ज्ञान ज्ञानी
योग योगी ध्यान ध्यानी

3 . भाववाचक – जिससे भाव अथवा अवस्था का बोध हो, उसे ‘भाववाचक तद्धित प्रत्यय’ कहते हैं। ये इस प्रकार है –

ता मानव मानवता सज्जनसज्जनता
मुर्ख मूर्खता जन जनता
लघु लघुता गुरु गुरुता
आपा बूढ़ा बुढ़ापा मोटा मोटापा
पन बच्चा बचपन लड़का लड़कपन

4 . ऊनवाचक – जिन शब्दों से छोटेपन का बोध होता है, उन्हें ‘ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय’ कहते हैं।

जैसे – खाट से खटिया, लोटा से लुटिया, बाबू से बबुआ, बच्चा से बचबा।

5 . अपत्यवाचक – जिसके कहने से संतान का बोध हो, उसे ‘अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय’ कहते हैं।

जैसे – दशरथ – दाशरथि, मनु – मानव, वसुदेव – वासुदेव, कुन्ती – कौन्तेय आदि।


कृदन्त और तद्धित में अन्तर

कृदंत ‘क्रिया’ के मूल धातु में ‘कृत’ प्रत्यय के लगने से बनता है। ‘तद्धित’ प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और अव्यय के अंत में लगता है।

ये दोनों प्रत्यय ही हैं, लेकिन कृदंत का संबंध ‘क्रिया’ से है और तद्धित का सम्बन्ध संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और अव्यय से है।

Final Thoughts –

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