Sangya in Hindi – संज्ञा किसे कहते है और संज्ञा के कितने प्रकार होते हैं पूरी जानकारी

आज के इस आर्टिकल में Hindi Grammar के एक महत्वपूर्ण टॉपिक संज्ञा (Sangya) के बारे में बताया गया हैं।

जिसमे आप संज्ञा क्या है, संज्ञा की परिभाषा क्या होती हैं और संज्ञा के कितने प्रकार होते हैं आदि इन सभी चीजों के बारे में पढ़ सकते हैं।

Sangya Kise Kahate Hain | Sangya Ke Bhed in Hindi

Sangya Kya Hai

संज्ञा (Sangya) – किसी प्राणी, वस्तु, स्थान और भाव के नाम को संज्ञा कहा जाता है।

जैसे – राम, श्याम, कुर्सी, टेबल, कलम, किताब, पूर्णियाँ, भारत इत्यादि।

संज्ञा के कितने प्रकार होते हैं। – Sangya Ke Bhed in Hindi 

English Grammar की तरह Hindi Grammar में भी संज्ञा के पांच भेद होते हैं जो की निम्नलिखित हैं –

1 . व्यक्तिवाचक संज्ञा

2 . जातिवाचक संज्ञा

3 . समूहवाचक संज्ञा

4 . द्रव्यवाचक संज्ञा

5 . भाववाचक संज्ञा


#. 1 . व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyaktivachak Sangya) – किसी विशेष प्राणी, स्थान या वस्तु के नाम को ‘व्यक्तिवाचक संज्ञा’ कहते हैं।

जैसे – रोशन, हिमालय, गंगा, पटना, पूर्णिया इत्यादि।

#. 2 . जातिवाचक संज्ञा (Jaativachak Sangya) – जिस संज्ञा से किसी जाति के सम्पूर्ण पदार्थों का बोध हो, उसे ‘जातिवाचक संज्ञा’ कहते हैं।

जैसे – गाय, घोड़ा, फूल, आदमी, पंखा इत्यादि।

#. 3 . समूहवाचक संज्ञा (Samuhvachak Sanyga) – जिस शब्द से समूह या झुण्ड का बोध हो, उसे ‘समूहवाचक संज्ञा’ कहते हैं।

जैसे – सेना, मेला, कक्षा, सभा, परिवार इत्यादि।

#. 4 . द्रव्यवाचक संज्ञा (DrwayVachak Sangya) – जिन वस्तुओं को नापा और तौला जा सके, ऐसी वस्तुओं के नामों को ‘द्रव्यवाचक संज्ञा’ कहते हैं।

जैसे – सोना, चाँदी, तेल, घी, पानी इत्यादि।

#. 5 . भाववाचक संज्ञा (Bhavvachak Sangya) – जिस संज्ञा से किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, धर्म और स्वभाव का बोध हो, उसे ‘भाववाचक संज्ञा’ कहते हैं।

जैसे – अच्छाई, चतुराई, मित्रता, बचपन, सुन्दरता इत्यादि।


विशेष

(1.) ‘ऊन’ का अर्थ होता है कम। ‘ऊनार्थक’ का तात्पर्य है कम अर्थवाला। अर्थात जब किसी संज्ञा शब्द को लघु या कम अर्थ में प्रकट किया जाता है, तो उसे ऊनार्थक संज्ञा (शब्द) कहा जाता है।

जैसे – डिब्बा से डिबिया, लोटा से लुटिया, खाट से खटिया, चोटी से चुटिया, बेटा से बटवा, बच्चा से बचवा, गली से गलियारा, काठ से काठी, फोड़ा से फुंसी, घोड़ा से घोड़िया, रस्सा से रस्सी आदि।

(2.) बनावट के विचार से ‘संज्ञा’ के तीन भेद होते हैं – रूढ़, यौगिक और योगरूढ़। इनका अध्ययन हम शब्द-विचार शीर्षक में कर चुके हैं।


भाववाचक संज्ञा बनाना

‘भाववाचक संज्ञा’ सामान्यता ‘जातिवाचक संज्ञा’, क्रिया, विशेषण, सर्वनाम, और अव्यय से बनाई जाती है जैसे –

1 . जातिवाचक संज्ञा से :

मानव – मानवता, बालक – बालकपन

नारी – नारीत्व, पंडित – पांडित्य

2 . क्रिया से :

लिखना – लिखावट, दौड़ना – दौड़

बहना – बहाव, घबराना – घबराहट

3 . विशेषण से :

लंबा – लम्बाई, मीठा – मिठास

कठोर – कठोरता, पीला – पीलापन

4 . सर्वनाम से :

अपना – अपनत्व, अपनापन, स्व – स्वत्व

निज – निजत्व, सर्व – सर्वस्व

5 . अव्यय से :

निकट – निकटता, दूर – दूरी

समीप – सामीप्य, शाबाश – शाबाशी

Final Thoughts –

आप यह हिंदी व्याकरण के भागों को भी पढ़े –



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