Sustainable Development Meaning in Hindi

Sustainable Development Meaning in Hindi

Noun

  • धारणीय या सतत् विकास

Pronunciation (उच्चारण) –

  • Sustainable Development – सस्टेनेबल डेवलपमेंट

Sustainable Development Meaning in Hindi

धारणीय विकास की परिभाषा देते हुए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन ने कहा है कि धारणीय विकास ऐसा विकास हैं जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति, क्षमता के समझौता किये बिना पूरा करे।

इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि हमें ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जिससे वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताएँ तो पूरी हो परन्तु भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति क्षमता पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े।

हमें ऐसे विकास की आवश्यकता है जो कि भावी पीढ़ियों को जीवन की संभावित औसत गुणवत्ता प्रदान करे जो कम से कम वर्तमान पीढ़ी के द्वारा उपभोग की गई सुविधाओं के बराबर हो।

बुटलैण्ड कमीशन ने भावी पीढ़ी को संरक्षित करने पर जोर दिया है। यह पर्यावरणविदों के उस तर्क के अनुकूल है, जिसमें उन्होंने इस बात पर बल दिया है कि यह हमारा नैतिक दायित्व है कि हम भावी पीढ़ी को एक व्यवस्थित भूमंडल प्रदान करें।

दूसरे शब्दों में वर्तमान पीढ़ी को आगामी पीढ़ी द्वारा एक बेहतर पर्यावरण उत्तराधिकार के रूप में सौंपा जाना चाहिए।

कम से कम हमें आगामी पीढ़ी के जीवन के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली परिसंपत्तियों का भंडार छोड़ना चाहिए जो कि हमें उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त हुआ है।

धारणीय विकास से अभिप्राय विकास की उस प्रक्रिया से है जिससे वर्तमान जनसंख्या की आवश्यकताओं की आपूर्ति, भावी पीढ़ी के हितों को बिना क्षति पहुंचाये, करने से लगाया जाता है।

धारणीय विकास की प्रमुख विशेषतायें निम्न है –

1 . पर्यावरण का संरक्षण : धारणीय विकास पर्यावरण के संरक्षण पर जोर देता है।

2 . वर्तमान तथा भावी पीढ़ी की आवश्यकता पर ध्यान देना : धारणीय विकास की अवधारणा इस बात पर आधारित है कि भावी पीढ़ी को भी वे ही अवसर मिलने चाहिए, जो आज हमें प्राप्त है।

दूसरे शब्दों में, यह अवधारणा वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ और भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को भी पूरा करने पर जोर देती है।

3 . विवरणात्मक समानता : यह अवधारणा विभिन्न पीढ़ियों के बीच तथा एक पीढ़ी के विभिन्न वर्गों के बीच समानता पर जोर देती हैं।

इस अवधारणा के अनुसार प्राकृतिक साधनों तथा पर्यावरण का इस प्रकार प्रयोग किया जाये जिसके फलस्वरूप केवल वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी विकास की दर को कायम रखा जा सके।

4 . मानवीय पूंजी, भौतिक पूंजी तथा प्राकृतिक पूंजी का संरक्षण आवश्यक है। स्थायी विकास की अवधारणा इस बात पर जोर देती है कि मानवीय पूंजी, भौतिक पूंजी तथा प्राकृतिक पूंजी का संरक्षण करना चाहिए जिससे भावी पीढ़ियों को कम से कम उतना अवश्य मिल सके जितना वर्तमान पीढ़ी को विरासत में मिला है।

इसके लिए संसाधनों का प्रबंध इस प्रकार करना चाहिए कि हम वर्तमान आवश्यकताओं की संतुष्टि के साथ-साथ इन संसाधनों की गुणवत्ता को भी बढ़ा सके।

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