Secularism Meaning in Hindi – सेकुलरिज्म का हिंदी अर्थ

Secularism Meaning in Hindi

Noun

  • धर्मनिरपेक्षता
  • पंथनिरपेक्षता

Pronunciation (उच्चारण)

  • Secularism – सेकुलरिज्म

Secularism Definition in Hindi –

Secularism एक अँग्रेजी शब्द हैं, जिसका हिन्दी में मतलब धर्मनिरपेक्षता होता हैं। इस वर्ड का इस्तेमाल अधिकतर हमारे देश में नेताओं के द्वारा किया जाता हैं।

भारतीय संस्कृति में सदा से ही धर्म का विशेष स्थान रहा है, किन्तु कालान्तर में धर्म के दृष्टिकोण का संकुचित जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

सामाजिक एकता पर आघात पड़ा तथा समाज अनेक टुकड़ों में विभक्त हो गया। इसी कटु अनुभव के आधार पर संविधान निर्माताओं द्वारा धर्मनिरपेक्षता के आदर्शों को अपनाया गया जिसके अंतर्गत नैतिकता, आध्यात्मिकता और मानव धर्म को विशेष महत्व दिया गया।

इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए संविधान में निम्न प्रावधान किये गये –

1 . धार्मिक स्वतंत्रता – संविधान द्वारा देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है। अनुच्छेद 25 द्वारा मौलिक अधिकारों के अंतर्गत लोगों को किसी भी धर्म को मानने, उसके अनुसरण, आचरण, विश्वास, पूजा-अर्चना की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। जिसका आशय यह है कि किसी भी नागरिक को किसी भी धर्म को मानने या पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

2 . अस्पृश्यता का अंत – पंथनिरपेक्षता का आदर्श इस बात पर बल देता है कि सामाजिक जीवन में जाति या धर्म के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।

संविधान के अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता जैसी सामाजिक कुरीति का अंत किया गया। अतः धर्म के आधार पर मनुष्य द्वारा मनुष्य पर होनेवाले अत्याचार को समाप्त कर दिया गया।

3 . धर्म के आधार पर भेदभाव का अंत – संविधान द्वारा धर्म के आधार पर नागरिकों भी व्यक्ति को धर्म के आधार पर किसी सार्वजनिक स्थान में प्रवेश से नहीं रोका जायेगा। अनुच्छेद 16 (i) के अनुसार सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति के मामलों में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।

4 . धार्मिक उद्देश्य से किया जानेवाला व्यय करमुक्त – संविधान द्वारा नागरिकोंको न केवल धार्मिक स्वतंत्रता तथा धार्मिक संस्थाओं को स्थापना की स्वतंत्रता प्रदान की गई वरन् धार्मिक प्रयोजनों पर होने वाले व्ययों को भी करमुक्त रखा गया है।

अनुच्छेद 27 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए खर्च की जानेवाली संपत्ति पर कोई कर नहीं लगाया जायेगा।” संविधान की इस व्यवस्था चलता है कि भारत एक धर्म-विरोधी राज्य न होकर धर्म को संरक्षण देनेवाला राज्य है।

5 . धार्मिक संस्थाओं की स्थापना और धर्म-प्रचार की स्वतंत्रता – संविधान द्वारा धर्म को पूरी स्वतंत्रता दी गयी है। अनुच्छेद 26 के द्वारा प्रत्येक सम्प्रदाय को धार्मिक कार्यों के प्रबंधन की पूरी स्वतंत्रता दी गई है।

इसके अंतर्गत प्रत्येक सम्प्रदाय को धार्मिक तथा परोपकारी उद्देश्य के लिए संस्थायें स्थापित करने, इन्हें चलाने, चल-अचल संपत्ति रखने, धार्मिक कार्यों के प्रबंध करने तथा उनके प्रबंध करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है।

संक्षेप में, नागरिकों को संविधान द्वारा वैध सीमा में वैध साधनों की सहायता से धर्म के प्रचार – प्रसार की पूरी आजादी प्रदान की गई है।

6 . धार्मिक शिक्षा का निषेध – धर्मनिरपेक्षता के उच्च आदर्शों के परिप्रेक्ष्य में संविधान के अनुच्छेद 28 में यह व्यवस्था की गई है कि किसी भी सरकारी शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती है तथा गैर-सरकारी, किन्तु सरकार से आर्थिक सहायता या मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में किसी को धार्मिक शिक्षा या उपासना करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

संविधान में प्रतिपादित लोक कल्याण एवं लोकतंत्र के आदर्श के अनुरूप धर्मनिरपेक्षता का यह आदर्श अत्यंत सटीक एवं औचित्यपूर्ण है।

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