कहानी लेखन – Kahani Lekhan in Hindi

छात्रों को दिए गए प्रारूप के आधार पर कहानी लेखन करने के लिए कहा जाता है। इस प्रकार के प्रश्न विभिन्न प्रकार के परीक्षाओं में भी पूछे जाते पर है। यहाँ इसी प्रकार प्रारूप के आधार पर कुछ कहानियाँ दी जाती हैं।

कहानी लिखने के नियम क्या है।

चित्र देखकर कहानी लिखना

संकेत : दिए गए चित्र को देखिए और उनपर आधारित कहानी लिखिए।

1 . रँगा सियार

एक सियार भोजन की खोज में घूम रहा था। गाँव के निकट कुत्तों ने उसका पीछा किया। जान बचाने के लिए सियार तेजी से भागने लगा। वह एक रँगरेज के घर में घुस गया। रंगरेज के घर में एक नाँद थी जिसमें नीला रंग घोला हुआ था। सियार रंग की उसी नाँद में गिर गया। किसी तरह जान बचाकर वह बाहर आया और जंगल पहुँचा । जंगल के जानवरों ने उसे कोई विचित्र जीव समझा। वे डर गए। तब सियार ने कहा, “तुम लोग डरो मत! मुझे भगवान ने नीला रंग देकर जंगल पर शासन करने के लिए भेजा है। आज से मैं राजा हूँ।” सभी जानवरों ने सियार की बात मान ली। सियार के दिन शान्ति और सुख से व्यतीत होने लगे। एक दिन शाम को जंगल के सियार बोलने लगे। उनकी बोली सुनकर राजा बना हुआ सियार भी हुआँ-हुआँ करने लगा। सियार की असलियत का पता सबको चल गया। जानवरों ने उसे मार डाला। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि “सत्यता छिपाई नहीं जा सकती है। और झूठ की पोल एक दिन अवश्य ही खुल जाती है। इसका परिणाम भी खराब होता है।”

2 . मूर्ख कौआ

एक कौए को रोटी का एक टुकड़ा मिला। वह रोटी का टुकड़ा लेकर एक वृक्ष की डाल पर बैठ गया। वह रोटी को शान्ति से खाना चाहता था। उसी समय एक भूखी लोमड़ी भोजन की खोज करते-करते उसी वृक्ष के नीचे आई। उसने कौए के मुँह में रोटी का टुकड़ा देखा। उस चालाक लोमड़ी ने कौए से रोटी प्राप्त करने के लिए उसकी खुशामद शुरू की। लोमड़ी ने कौए से कहा- “आपकी आवाज बड़ी मीठी है। आपके सुन्दर स्वर की जंगल के सभी जीव प्रशंसा करते हैं। आप बहुत ही सुन्दर गाते भी है। मैं आपका गीत सुनने के लिए ही आई हूँ।” इतना सुनते ही कौआ खुशी के मारे फूल गया और ‘काँव-काँव’ करने लगा। ज्योंही उसने मुँह खोला, त्योही रोटी नीचे गिर गई। लोमड़ी ने रोटी को मुँह में दबाया और चम्पत हो गई। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी की चिकनी-चुपड़ी बातों में नहीं आना चाहिए।”


प्रारूप के आधार पर कहानी लिखना

प्रारूप के आधार पर कहानी लिखते समय निम्नांकित वातों पर ध्यान देना चाहिए।

1 . प्रारूप को ध्यान से कई बार पढ़ना चाहिए।

2 . प्रारूप के आधार पर मस्तिष्क में कहानी की घटनाओं को क्रमबद्ध बैठा लेना चाहिए।

3 . कहानी में मुख्य घटनाओं का ही वर्णन करना चाहिए।

4 . कहानी के ऊपर शीर्षक अवश्य देना चाहिए।

5 . कहानी का प्रारंभ और अन्त आकर्षक ढंग से करना चाहिए।

6 . कहानी की भाषा सहज और सरल होनी चाहिए।

1 . प्रारूप

सियार और ऊँट की मित्रता — नदी पार ईख के खेत में गये — ईख खूब खाई — सियार हुआ-हुआँ करने लगा — ऊँट का समझाना — सियार का नहीं मानना — रखवाले का आना — ऊँट का पीटा जाना— सियार को पीठ पर बैठाकर ऊँट का नदी पार करना — बीच नदी में लोटना — सियार का डूब जाना।

जैसे को तैसा

एक सियार और एक ऊँट में मित्रता थी। एक दिन दोनों ने विचार किया — नदी के उस पार ईख के खेत में जाकर ईख खानी चाहिए। ऊँट ने सियार को पीठ पर बैठा लिया और नदी को तैरकर पार कर लिया। दोनों मित्र ईख के खेत में गये। दोनों ने भरपेट ईख खायी। सियार का पेट पहले भर गया। वह जोर-जोर से हुआ हुआ करने लगा। ऊँट ने सियार को समझाया — “मित्र, अगर शोर करोगे, तो रखवाला जाग जाएगा। अभी मेरा पेट नहीं भरा है।” सियार ने कहा – “पेट भरने के बाद मुझे गाने की आदत है।” बस, सियार ‘हुआहुआ’ करने लगा। थोड़ी देर में रखवाला मोटा लट्ठ लेकर आया। सियार खेत में छिप गया। बेचारे ऊँट पर खूब मार पड़ी। अब ऊँट ने भी सियार से बदला लेने का सोच लिया। रखवाले के जाने के बाद सियार ऊँट के पास आया। फिर दोनों ने नदी पार करने का विचार किया। सियार को पीठ पर बैठाकर ऊँट नदी में तैरने लगा। बीच नदी में जाकर ऊँट पानी में लोटने लगा। सियार पानी में डूबने उतराने लगा। सियार ने ऊँट से कहा- “मित्र, यह क्या करते हो ? मैं डूब जाऊँगा ।” ऊँट ने कहा- “मुझे तैरते समय लोटने की आदत है।” ऊँट के लोटने के कारण सियार नदी में डूबकर मर गया। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि-“जो जैसा करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा।”

2 . प्रारूप

एक विशालकाय हाथी — मस्ती में झूमना — सियार का हाथी को देखना — हाथी को मारकर खाने का विचार — हाथी की शक्ति के कारण विवश — एक बूढ़े सियार का सुझाव — हाथी को दलदल की ओर ले जाना — हाथी का दलदल में फँसकर मर जाना।

बुद्धि बड़ी या बल

एक घनघोर जंगल में एक विशाल शरीर वाला हाथी रहता था। हाथी जंगली पौधा को खाकर हृष्ट-पुष्ट हो गया था। वह झूमता हुआ जंगल में घूमता रहता था। सभी प्राणी उससे डरते थे। एक दिन एक सियार ने उस हाथी को देखा। उसने मन में सोना-“अगर इस हाथी को मार दिया जाय, तो इसका मांस खाकर महीनों गुजारा हो सकता है, लेकिन हाथी को मारना कठिन था, क्योंकि वह बड़ा शक्तिशाली था। एक बूढ़े सियार ने उसे कुछ सुझाव दिए। सियार को यह बात पसंद आई। वह हाथी के पास गया। उसने हाथी को प्रणाम किया। हाथी खुश हो गया। सिया ने हाथी को बताया, “जंगल के सभी जानवरों ने आपको राजा चुना है और मुझे आपको बुलाने भेजा है। आप मेरे साथ चलकर राजगद्दी पर बैठे।” हाथी को उस चतुर सियार की बात पर विश्वास हो गया। सियार आगे और हाथी पीछे पीछे झूमता हुआ चला सियार उस ओर चला जिधर दलदल था। सियार हल्का था। वह दलदल के ऊपर से पार हो गया। विशालकाय हाथी दलदल में फँस गया। हाथी दलदल से नहीं निकल सका और उसी में मर गया। सभी सियारों ने उसके मांस को महीनों खाया । “बल से ज्यादा बुद्धि शक्तिशाली होती है।”

3 . प्रारूप

एक राजा के …… थे। चारों …… लड़ा करते थे। राजा ने …… बंडल रखा। सम्मिलित लकड़ियों ……असमर्थ रहे। ….. खोल दी गई। रहस्य …… गया। ….. बड़ी शक्ति है। भारत की …… शक्ति है। भारत …… की यही रहस्य है।

एकता में ही बल है।

एक राजा के चार पुत्र थे। चारों आपस में लड़ा करते थे। एक दिन राजा ने अपने पुत्रों को बुलाया। राजा ने उनके सामने लकड़ियों का एक बंडल रखा। राजा ने अपने पुत्रों से बंडल तोड़ने को कहा। सम्मिलित लकड़ियों को तोड़ने में वे असमर्थ रहे। अब बंडल में बँधी लकड़ियाँ खोल दी गई। राजकुमारों ने बिखरी लकड़ियों को आसानी से तोड़ दिया। बंडल की शक्ति का रहस्य स्पष्ट हो गया। एकता में बड़ी शक्ति है। भारत की एकात्मकता में सुदृढ़ शक्ति है। भारत की एकात्मक (या सुदृढ़) शक्ति का यही रहस्य है।


प्रश्न 1 . ‘भूखा भेड़िया’ शीर्षक पर आधारित एक छोटी कहानी अपने मन से लिखें।

उत्तर :

भूखा भेड़िया

किसी जंगल में अनेक जानवर रहते थे—शेर, बाघ, चीता, हाथी, हरिण, भेड़िया, लोमड़ी, खरगोश इत्यादि। उनमें भेड़िया बड़ा धूर्त था वह शेर, बाघ या चीते द्वारा किए गए शिकार से अपना पेट भरता था। एक बार भेड़िया कई दिनों से भूखा था। वह भोजन की खोज में जंगल में इधर-उधर भटक रहा था। उसकी नजर एक हाथी पर पड़ी। उसने मैन ही मन सोचा कि यदि किसी प्रकार इस हाथी को मार सकूँ, तो छह महीने तक भोजन श्री विन्ता नहीं रहेगी। वह धूर्त और चालाक तो था ही। उसे एक उपाय सूझ ही गया। उसने सोना, हाथी का शरीर जितना विशाल होता है, उसकी बुद्धि उतनी ही मोटी होती है। वह प्रसन्न मन से हाथी के पास पहुंचा। उसने झुककर बड़े विनम्र स्वर में हाथी से कहा “प्रणाम गजराज ।” हाथी ने पूछा, “क्या बात है?” भेड़िये ने उसी स्वर में कहा, “गजराज! जंगल के सभी जानवरों ने एक सभा कर विचार किया है कि आपको जंगल का राजा बनाया जाय।” “पर जंगल का राजा तो शेर है, फिर जंगल का राजा मैं कैसे हो सकता हूँ”, हाथी ने कहा। “कैसे नहीं हो सकते हैं, महाराज? आपमें राजा होने के सभी गुण हैं। आप शेर से बलवान है और दयालु भी हैं। शेर तो अकारण ही जानवरों की हत्या किया करते हैं”, भेड़िये ने कहा। हाथी प्रसन्न हो गया। उसने कहा, चलो, मुझे कहाँ चलना है ? भेड़िया आगे आगे और हाथी पीछे-पीछे चलने लगा। चलते-चलते दोनों एक दलदल वाले गड्ढे के पास पहुँचे। भेड़िये ने पहले से ही उस पर घास पत्ते डाल दिए थे। भेड़िया हलका था, इसलिए आसानी से उसे पार कर गया। भारी भरकम शरीरवाला हाथी उस होकर गुजरा तो दलदल में फँस गए। उसने दलदल से निकलने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन उसमें धँसता ही चला गया। वह दलदल में फँसकर मर गया। भेड़िये की इच्छा पूर्ण हुई। उसने अपने नुकीले तेज दाँतों से हाथी की मोटी चमड़ी फाड़ डाली। फिर वह कई महीनों तक हाथी के मांस से अपना पेट भरता रहा।


अभ्यास :

1 . दिए गए प्रारूप के आधार पर कहानी लिखें :

(क) एक कौआ —पानी की खोज में भटकना— तीव्र गर्मी— एक घड़े के पास पहुँचना-घड़े के पेंदे में पानी कौए की चोंच का पानी तक नहीं पहुँचना — कौए का सोचना — घड़े में कंकड़ डालना – पानी का ऊपर उठना-पानी पीकर प्यास बुझाना। “बुद्धिबल से कार्य सिद्धि । ”

(ख) एक का पालतू बन्दर राजा का प्यार करना बन्दर की स्वामी भक्ति और सेवा – एक दिन राजा का सोना-बन्दर का पंखा झलना—एक मक्खी का बार बार नाक पर बैठना मक्खी पर तलवार चलाना मक्खी का उड़ जाना- राजा की नाक का कट जाना। “मूर्ख दोस्त से विद्वान दुश्मन भला ।”

(ग) एक चरवाहे का बेटा — रोज भेड़ चराने जंगल जाना- झूठमूठ का चिल्लाना भेड़िया आया, भेड़िया आया — बचाने के लिए लोगों का दौड़कर आना-लड़के का हँसना — इसी प्रकार रोज-रोज करना— एक दिन सचमुच भेड़िए का आना-लड़के का शोर मचाना—किसी का नहीं आना-भेड़िए का लड़के को मारकर खा जाना। “झूठ का फल बुरा होता है ।”


Final Thoughts –

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