एकार्थक शब्द किसे कहते हैं। परिभाषा एवं उदाहरण – Ekarthak Shabd in Hindi

आज के इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के चैप्टर एकार्थक शब्द के बारे में पढ़ेंगे। जिसमें हम इसका परिभाषा और उदाहरण के बारे में जानेंगे।

Ekarthak Shabd Kise Kahate Hain

परिभाषा :- एक अर्थ प्रकट करने वाले शब्द ‘एकार्थक‘ या ‘एकार्थी’ कहलाते हैं। हिन्दी भाषा में ऐसे शब्द समूह हैं, जो एक ही अर्थ का बोध करानेवाले जान पड़ते हैं, किन्तु उनके अर्थ में सूक्ष्म (बारीक) भेद होता है। इनके प्रयोग में हमेशा सतर्कता बरतनी चाहिए।

एकार्थक शब्द के उदाहरण

अर्चना – धूप, दीप, फूल, नैवेद्य, इत्यादि से देवता की पूजा।

पूजा – भक्तिपूर्ण विनय या प्रार्थना ।

आदर – बड़ों के प्रति प्रकट किया जाने वाला सम्मान भाव ।

सम्मान – श्रेष्ठ व्यक्तियों के प्रति किया जाने वाला सत्कार।

अभिनन्दन – किसी श्रेष्ठ के प्रति निमंत्रणयुक्त मान या स्वागत।

स्वागत – अपनी सभ्यता-संस्कृति के अनुसार किसी को सम्मान देना।

प्रार्थना – गुरुजनों से विनम्र भाव से इच्छा प्रकट करना ।

निवेदन – दूसरों की इच्छानुसार अपना विनम्र भाव कहना।

आवेदन – किसी से गुण दिखाकर कार्य करने की इच्छा प्रकट करना ।

प्रयास – साधारण रूप से किसी कार्य को करना ।

प्रयत्न – तन-मन से किसी कार्य को करना ।

कृतज्ञता – किए गए उपकार को मानने का भाव ।

विनम्रता – व्यवहार में नम्र होने का भाव लाना ।

अभिलाषा – किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा ।

इच्छा – किसी भी वस्तु की साधारण चाह ।

लालसा – किसी वस्तु की प्राप्ति की तीव्र इच्छा बड़ों के प्रति विश्वासपूर्ण अनुराग ।

भक्ति – देवता या ईश्वर के प्रति प्रेम ।

अज्ञान – जिसमें समझने की शक्ति न हो।

अनभिज्ञ – जो अनजान हो ।

आयु – पूरे जीवन की अवधि ।

अवस्था – जीवन के कुछ बीते काल या स्थिति का बोधक।

प्रेम – व्यापक अर्थ में प्रयुक्त । जैसे – ईश्वर से प्रेम, पति-पत्नी का प्रेम ।

प्रणय – सख्य भाव मिश्रित अनुराग।

स्नेह – अपने से छोटों के प्रति स्नेह होता है। जैसे – पुत्र से स्नेह ।

प्रणाम – अपने से बड़ी आयु और गुणवालों को किया है।

नमस्कार – अपनी बराबरी वालों को किया जाता है।

विघ्न – कार्य प्रारम्भ होने से पूर्व ही कोई अड़चन पड़ जाना।

भ्र्म – किसी वस्तु को गलत समझ लेना भ्रम है।

संदेह – किसी वस्तु के विषय में ठीक निश्चय न कर सकना संदेह है।

पत्नी – किसी पति की स्त्री के लिए प्रयुक्त हो सकता है।

स्त्री – सम्पूर्ण स्त्री जाति का बोध होता है।

संकोच – किसी कार्य के करने में हिचकिचाहट होना संकोच है।

लज्जा – समाज द्वारा तिरस्कृत अनुचित कार्य करने में जो संकोच होता है।

मित्र – किसी मनुष्य से घनिष्ठ सम्बन्ध हो जाने पर मित्र हो जाता है।

सखा – समवयस्क जिससे प्रेम हो सखा हो जाता है।

सुह्रद – हित-अहित की चिन्ता रखनेवाले मित्र को सुहृद कहते हैं ।

साहस – भय की उपस्थिति में कार्य करने की प्रेरणा ।

उत्साह – भय की अनुपस्थिति में कार्य करने की प्रेरणा ।

अस्त्र – फेंककर प्रहार करनेवाले हथियार; जैसे—बाण, बम ।

शस्त्र – हाथ से पकड़कर प्रहार करनेवाले हथियार; जैसे-भाला, तलवार।

मुनि – धर्म और तत्व पर विचार करनेवाले को मुनि कहते हैं ।

अभिमान – प्रतिष्ठा में अपने को श्रेष्ठ समझना । वास्तविक गर्व ।

अहंकार – मन का झूठा गर्व ।

गर्व – अपनी प्रभुता के आगे सबको हीन समझना ।

घमंड – सभी परिस्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरे को हीन समझना ।

दर्प – नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमंड ।

प्रलाप – व्यर्थ की बातें करना ।

विलाप – दुःख में रोना ।

संवेदना – किसी के दुःख से दुःखी होते हुए धैर्य देना

सहानुभूति – किसी के सुख-दुख को अपना सुख-दुख समझना ।

Final Thoughts –

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