दुर्गा पूजा पर निबंध हिंदी में | Durga Puja Essay in Hindi

Durga Puja Essay in Hindi :- दोस्तों, हमारे देश भारत में हर वर्ष की तरह इस वर्ष में पुरे हर्षो-उल्लास से के साथ “विजयदशमी” का पावन त्योहार मनाया जा रहा हैं। तो इसी त्यौहार के ऊपर आज के इस पोस्ट में आप हिंदी में निबंध पढ़ेंगे।

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दोस्तों, अब हम आज का यह दुर्गा पूजा पर हिंदी निबंध को शुरू करते हैं। आप पूरा पढ़कर हमें कमेंट में जरूर बताये की आपको यह निबंध कैसा लगा।

दुर्गा पूजा पर हिंदी में निबंध – Durga Puja Par Nibandh in Hindi

दुर्गापूजा हिन्दुओं का सर्वप्रमुख पर्व हैं। इस पर्व को कही दशहरा, कहीं शारदीय नवरात्री पूजा और कहीं ‘विजयदशमी’ भी कहा जाता हैं।

इस पर्व को मुख्य रूप से बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं।

दुर्गा पूजा शक्ति की उपासना हैं। यह अधर्म पर धर्म की, असत्य पर सत्य की विजय का पर्व हैं। दुर्गा पूजा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के विषय में कोई तरह की धार्मिक कथाये प्रचलित हैं।

कुछ लोग कहते हैं की राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। उसकी ख़ुशी में यह पर्व मनाया जाता हैं।

कुछ लोगों के अनुसार महिसासुर नामक असुर, महान शक्तिशाली एवं पराक्रमी था। उसने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था।

इस समस्या से निवारण के लिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश – त्रिदेवों ने शरीर से तथा सभी देवताओं के शरीर से थोड़ा-थोड़ा तेज निकला और सबके सम्मिलित तेज-पुंज से नारी रूप में आदिशक्ति माता दुर्गा प्रकट हुई।

देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र माता को प्रदान किए। माता हुंकार करते हुए युद्ध के मैदान में पहुंची और प्रचंड बली महिसासुर का वध किया। उसी विजय के उपलक्ष्य में दुर्गा पूजा का पर्व मनाया जाता हैं।

कथाएँ जो भी सत्य हो, पर यह पूर्णतः सत्य हैं की यह पर्व असत्य पर सत्य की अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता हैं।

दुर्गा पूजा का पर्व दस दिन तक मनाया जाता है। आशिवन मास के शुक्ल पक्ष के पारंभ में ही कलश स्थापन होता हैं और माता दुर्गा की पूजा पारंभ हो जाती हैं।

बड़ी निष्ठा, श्रद्धा-भक्ति, बड़े उल्लास और धूम-धाम से दुर्गा पूजा की जाती हैं। दशमी को यज्ञ की समाप्ति के बाद विसर्जन का काम होता हैं।

इस अवसर पर कही-कही मेला भी लगता हैं तथा विभिन्न स्थानों पर संगीत समारोह का भी आयोजन किया जाता हैं।

दुर्गा पूजा के अवसर पर सभी शिक्षण संस्थान और सरकारी कार्यालय बंद कर दिए जाते हैं। सभी लोग मिलजुल कर इस पर्व को मनाते हैं। यह उत्सव मात्र प्रचंड शक्ति का ही प्रचारक नहीं बल्कि इसके सात्विक तेज का भी प्रेरक हैं।

अतः सबको सात्विक भाव से ही माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस पूजा के चलते अगर धार्मिक द्वेष उत्पन्न होता है तो निश्चित रूप से पूजा का मूल्य उद्देश्य नस्ट हो जाता हैं।

Final Thoughts – 

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