दीवाली पर निबंध हिंदी में पढ़ें | Diwali Essay in Hindi

दोस्तों, हमने अपने पिछले Hindi Essay के आर्टिकल में दुर्गा पूजा अर्थात विजयदशमी पर हिंदी में निबंध पढ़ा था। दुर्गा पूजा के कुछ दिनों के बाद हिन्दुओं का एक और प्रमुख पर्व दीवाली (Diwali) आती हैं।

जिसे सभी लोग बहुत धूम-धाम से मनाते हैं। तो दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम इसी पर्व दीवाली पर हिंदी में निबंध लाये हैं। जिसे आप पढ़कर दिवाली पर्व के बारे में पूरी जानकारी जान सकते हैं।

जैसे की – दीवाली का पर्व क्यों मनाया जाता हैं और इसे सभी लोग किस प्रकार सेलिब्रेट करते हैं। इसे मनाये जाने की पूरी प्रथा क्या हैं आदि। अब हम आज का यह आर्टिकल Diwali Essay in Hindi को शुरू करते हैं।

दीवाली पर निबंध हिंदी में – Diwali Par Nibandh in Hindi Language

दुर्गा पूजा की तरह दीवाली भी भारत के बड़े त्योहारों में एक हैं। यह हमारे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।

इसमें सभी तरह की जातिओं, धर्मों और सम्प्रदायों के लोग दिल खोलकर भाग लेते हैं और सारे भेद-भाव भुला देते हैं अतः दीवाली हमारा एक महान राष्ट्रीय पर्व हैं।

दीवाली के आरंभ के अनेक पौराणिक कथाये प्रचलित है। एक कथा के अनुसार – श्री रामचन्द्र जब 14 वर्ष के बाद रावण को मारकर सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तब सभी जगह ख़ुशी के दिये जलाये गए।

उसी विजय की स्मृति में यह दीवाली हर वर्ष मनाई जाने लगी। दूसरी कथा के अनुसार – दीवाली उस दिन शुरू हुई, जब श्री कृष्ण ने नरकारसुर का वध किया। इसी ख़ुशी में दीवाली का श्री गणेश हुआ।

तीसरी कथा हैं की जब भगवान विष्णु राजा बलि के दान से प्रश्न हुए तब यह वर दिया की सभी लोग बलि के नाम पर घी के दिए जलायेंगे।

एक कथा यह भी प्रचलित है की जब भगवान शंकर ने महाकाली का क्रोध शांत किया तभी से दीवाली मनाई जाने लगी।

कथा चाहे जो भी हो, इन बातों से एक बात बिलकुल साफ है की दीवाली हर साल हम भारतवासियों को जीवन का नया सन्देश देने आती हैं और यह बताती है की सत्य की जीत और असत्य की हार एक न एक दिन अवश्य होता हैं।

यह हमारे जीवन का अंधकार दूर कर फुलझड़ियों की तरह नया प्रकाश बिखेरतीं हैं। हम अपने अन्दर नवीनता का अनुभव करते हैं। दीवाली आने के पहले से ही लोग अपने-अपने घर की सफाई, पुताई-रंगाई शुरू कर देते हैं।

छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सभी तरह के लोगों दीवाली के स्वागत की तैयारी में लग जाते हैं। किसी शुभ कार्य का आरंभ भी दीवाली के दिन होता हैं।

दीवाली आती है, आमावश्या की रात में। मकान के छतों-छज्जों और मुडेरों पर दीपों की माला सजाई जाती है। बच्चे पटाख़े और रंग-बिरंगी फुलझरियाँ छोड़ते हैं।

हर जगह रोशनी ही रोशनी दिखायी देती है। रोशनी की जगमगाहट में सबके चेहरों पर ख़ुशी की लहर छा जाती हैं। लोग बाज़ार की रोशनी और सजावट देखने घर से बाहर जाते हैं।

मिठाइयाँ खाते-खिलाते रात के कुछ घंटे बीत जाते हैं। व्यपारी और सेठ-साहूकार रात में धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। नए-नए कपड़े और बर्तन ख़रीदते है।

दीवाली का धार्मिक महत्व तो है ही, इसका सामाजिक महत्व भी है। वर्षा ऋतू के बाद मकानों की मरम्मत और उसकी पुताई, खिडकियों और दरवाजों की रंगाई, पास-पड़ोस की सफाई, हमारे यहाँ इसी दीवाली के उपलक्ष्य में होता हैं।

साल में एक बार ऐसा करना जरूरी समझा जाता हैं इस प्रकार सारी गन्दगी दूर हो जाती है। दीवाली हमारे जीवन में नवीन प्रकाश लाती हैं।

हमारे आस-पास के वातावरण शुद्ध और पवित्र बनाती हैं। यह हमें भाईचारे, सहयोग, सुख और शांति का सन्देश देता हैं।

Final Thoughts –

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