दहेज प्रथा पर निबंध – Dahej Pratha Essay in Hindi

आज के इस हिंदी निबंध के आर्टिकल में आप दहेज प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha Essay in Hindi) पढ़ सकते हैं।

इस निबंध के पहले हमने परिश्रम के महत्व पर निबंध हिंदी में पढ़ा था। अगर आपने इसे नहीं पढ़ा तो इसे भी जरूर पढ़े।

अब हम आज का यह निबंध दहेज प्रथा पर निबंध को शुरू करते हैं आप स्क्रॉल डाउन करके पूरा पढ़िए।

दहेज प्रथा पर निबंध – Dahej Pratha Par Nibandh in Hindi

लम्बी अवधि की गुलामी ने भारतीय समाज को जर्जर और कुंठाग्रस्त बना दिया है। इसके चलते हमारा समाज विभिन्न प्रकार की रूढ़ियों, कुरीतियों का संग्रह बन गया है, दहेज-प्रथा इन्हीं कुरीतियों में सबसे विषम कुरीति है।

दहेज की रुढ़ि के चलते भारतीय समाज निराशा और कुण्ठा के अन्धकार में भटक रहा है। पुरानी रूढ़िवादिता मानवता को कुमार्ग पर चलने के लिए बाध्य कर रही है।

दहेज-प्रथा रूढ़िवादिता, शोषण एवं सामाजिक अन्धविश्वास का जीता-जागता उदाहरण है। यह विशाल सर्प की तरह पूरे समाज को अपनी कुण्डली में समेटे हुए है।

इसने अच्छे-बुरे, ज्ञानी- अज्ञानी, शिक्षित-अशिक्षित सबको एक सतह पर ला खड़ा किया । पूरा समाज दहेज की दारुण ज्वाला से दग्ध हो रहा है।

विवाह का लक्ष्य दो आत्माओं का मिलन है, जिसमें वर और वधू के मध्य सुन्दर सम्बन्ध स्थापित होना चाहिए, ताकि सुन्दर दाम्पत्य जीवन से सुखी परिवार बन सके।

आज इस कुप्रथा के चलते बहुत-से वर, योग्य वधू नहीं प्राप्त कर पाते। फलतः जीवन दुखमय और नारकीय होता जा रहा है। यह कुप्रथा संक्रामक बीमारी की तरह घर-घर में फैलती जा रही है। हर कन्या का पिता इस कुप्रथा के चलते चिन्ता प्रस्त है।

जैसे-जैसे कन्या की उम्र बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे परिवार निराशा के अन्धकार में डूबता चला जा रहा है। पिता अपना घर-द्वार, जमीन आदि बेचकर वर के अभिभावक की माँग पूरी करने में लगे हैं। वर पक्ष की माँग सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती ही चली जा रही है।

शायद एक दिन हमारा सम्पूर्ण समाज ही सुरसा के इस मुँह में समाकर नष्ट न हो जाय। इस राक्षसी प्रथा के बहुत-से दुष्परिणाम हुए हैं।

विवाह में दहेज की कमी के कारण अनेक कन्याओं की हत्या एवं आत्म-हत्या के समाचारों से अखबार के पन्ने भरे पड़े हैं।

बहुत सारी कन्याओं को इस प्रथा के राक्षस ने लील लिया है, बहुत-से घर इस कुप्रथा की भेंट चढ़ चुके हैं। क्या विडम्बना है, जो आज कन्या की शादी के लिए गली-गली भटक रहे हैं, वही कल लड़के की शादी के लिए अकड़ते और दहेज माँगते हैं।

तलवा सहलाने वाला ही सिर पर चढ़ने लगता है। हम सबको भारतमाता के सिर पर लगे इस दाग को धोना है। इसके लिए समाज के अविवाहित युवक-युवतियों को आगे बढ़कर आदर्श का परिचय देना है। हमारी सरकार भी इस राक्षसी प्रथा को समाप्त करने के लिए कृतसंकल्प है।

नये-नये कानून बनाकर इस कुप्रथा को रोकने की कोशिश की जा रही है। इस प्रथा को गैर-कानूनी बना दिया गया है। दहेज लेना और देना दण्डनीय अपराध है।

फिर भी यह कुप्रथा फल-फूल रही है, क्योंकि हम सभी इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। जिस दिन हम सभी इसके विरुद्ध खड़े हो जाएँगे, उसी दिन यह कुप्रथा समाप्त हो जाएगी।

Final Thoughts –

दोस्तों, आपने इस आर्टिकल में दहेज प्रथा पर निबंध हिंदी (Dahej Pratha Par Nibandh in Hindi) में पढ़ा।

अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी सोशल मीडिया पर शेयर अवश्य करे।

यह निबंध भी पढ़े –

Leave a Comment