आशय लेखन क्या हैं। नियम एवं उदाहरण – Aashay Lekhan in Hindi

आज के इस आर्टिकल में आप हिंदी व्याकरण के चैप्टर आशय लेखन (Ashay Lekhan) के बारे में पढ़ सकते हैं।

जिसमें आप इसका परिभाषा, नियम एवं उदाहरण आदि के बारे में पूरी जानकारी पढ़ सकते हैं। अब हम आज के इस आर्टिकल को शुरू करते हैं।

आशय लेखन किसे कहते हैं। परिभाषा, नियम एवं उदाहरण

परिभाषा – दिए गए संदर्भ (गद्य या पद्य) के मूल भावों को अपनी भाषा में उपस्थित करने की विधि को ‘आशय लेखन’ कहा जाता है। यह संक्षेपण, व्याख्या और भावार्थ से भिन्न है।

आशय लिखते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए :

1 . दिए गए गद्यांश या पद्यांश को ध्यान से कई बार पढ़कर समझ लेना चाहिए।

2 . संदर्भ के मूल भावों और विचारों को अंकित कर लेना चाहिए ।

3 . आगे मुख्य बिन्दुओं को मिलाकर प्रारूप तैयार कर लेना चाहिए ।

4 . आशय लिखने में संक्षेपण या विस्तार का कोई नियम नहीं है, लेकिन विषय की लम्बी-चौड़ी भूमिका, प्रसंग-निर्देश एवं किसी पंक्ति की विस्तृत व्याख्या से बचना चाहिए।

5 . आशय सरल भाषा में लिखना चाहिए।

6 . आशय अपनी भाषा में लिखना चाहिए।


उदाहरण 1 .

हिन्दी साधारण जनता की भाषा है। जनता के लिए उसका जन्म हुआ था और जब तक वह अपने को जनता के काम की चीज बनाए रहेगी, जनचित में आत्मबल का संचार करती रहेगी, तब तक उसे किसी से डर नहीं है। वह अपनी भीतरी अपराजेय शक्ति के बल पर बढ़ी है, लोक-सेवा के महान् व्रत के कारण बड़ी हुई है और यदि मूलशक्ति के स्रोत को भूल नहीं गई, तो निःसंदेह अधिकाधिक शक्तिशाली होती जाएगी। उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। वह किसी राजशक्ति की उँगली पकड़कर यात्रा करने वाली भाषा नहीं है, अपने आप भीतरी शक्ति से महत्त्वपूर्ण आसन पर अधिकार करने वाली अद्वितीय भाषा है।

आशय – हिन्दी जनता की भाषा है। और, जब तक यह जन-मानस में स्थान बनाए रहेगी, इसकी शक्ति बढ़ती ही जाएगी। इसे राजाश्रय की आवश्यकता नहीं, जन-सेवा के बल पर ही एक दिन यह अवश्य ही राष्ट्रभाषा बनेगी।


उदाहरण 2 .

पंडित जवाहरलाल नेहरू फूलों को गद्दी पर नहीं, बल्कि काँटों की पगडंडी पर चलते रहे। पिता का देहान्त, पत्नी से सदा के लिए विछोह। बार-बार जेल के सीखचों में बंद रहे, किन्तु विपत्तियाँ तो कायरों को दहलाती है। पंडित जी दिन-दूने, रात चौगुने उत्साह से विदेशी शासन के उन्मूलन में लगे रहे। 9 अगस्त, 1942 ई. को मुम्बई में ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ का नारा लगाया। यह नारा समग्र राष्ट्र में बेतार के तार की तरह फैल गया। नेहरूजी तीन वर्षों के लिए अहमदाबाद जेल में नजरबन्द हुए। कभी-कभी अभिशाप वरदान ले आता है। नेहरूजी ने जेल-जीवन के इन तीन वर्षों के कठोर स्वाध्याय के बल पर ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ नामक पुस्तक लिखी। उन्हें देश एक लोकप्रिय नेता के रूप में नहीं जानता वरन् एक महान लेखक और विचारक के रूप में भी जनता है।

आशय – जवाहरलाल जी कर्मवीर थे। अपने जीवन में उन्हें अनेक विपत्तियों की मार बर्दाश्त करनी पड़ी, पर वे कर्म-विरत न हुए। सदा देश की सेवा में लगे रहे। वे एक महान् नेता ही नहीं, महान लेखक भी थे। अगस्त-क्रांति में सक्रिय भाग लेने के कारण उन्हें तीन सालों के लिए जेल की सजा मिली। जेल में भी वे अध्ययन करते रहे और यहीं उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ की रचना की।


उदाहरण 3 .

उँगलियाँ पाँच है, पंजे में पाँचों ही पाँच तरह की हैं,

पर क्या वे पंजे पर बैठी आपस में कभी लड़ी भी हैं ?

बेकाम हथेली वह जिसमें उँगलियाँ मिल नहीं पाती हैं।

घूँसा बनता तब जोरदार जब ये पाँचों मिल जाती हैं।

इंसान उँगलियों से अपनी कुछ बातें सीख मुहब्बत की,

आपस में ही लड़-लड़ पड़ना राह नहीं है राहत की।

आशय — मानव- हथेली और पाँच उँगलियों के उदाहरण से कवि ने आपसी मेल-मुहब्बत का महत्त्व बताते हुए इन पंक्तियों में कहा है कि मानव- हथेली में भिन्न-भिन्न आकार की पाँच पतली-पतली कमजोर उँगलियाँ होती हैं, किन्तु वे आपस में लड़ती नहीं क्योंकि उनके मेल के बिना हथेली का कोई मूल्य नहीं होता। वे ही पतली-पतली उँगलियाँ जब एकसाथ मिलकर घूँसा बनती हैं, तो उनमें दुश्मन पर प्रहार करने की शक्ति आ जाती है। इसलिए मनुष्य को इन कमजोर उँगलियों से प्यार-मुहब्बत की शिक्षा लेनी चाहिए, क्योंकि आपस में उलझ पड़ना सुख-शांति का रास्ता नहीं है।


अभ्यास :

(क.) आशय लेखन का अर्थ हैं?

(ख.) आशय लेखन के लिए किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए।

Final Thoughts –

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